नमस्कार दोस्तों , आज हम वास्तविक संख्या से सम्बंधित कुछ अनुप्रयोगों के विषय में कुछ विशेष चर्चा करेंगें तो सबसे पहले समझाते है की वास्तविक संख्या का वास्तविक परिभासा क्या है –
वास्तविक संख्या(Real number):-
परिमेय संख्याओं(Rational numbers) और अपरिमेय संख्याओ((Irrational numbers) के समूह को हम वास्तविक संख्या कहते है अथवा दुसरे शब्दों में हम कह सकते है की वैसी संख्या जिसका वर्ग(Square) हमेसा एक धनात्मक संख्या हो उसे हम वास्तविक संख्या कहते है ,इसे हम निचे दिये गए उदहारण के साथ समझते है-
Exp- 2/3 , 4.5 ,-9, -5.6 ,5√3 , 75√3 इत्यादि वास्तविक संख्याओ के उदहारण है .लेकिन √-3 एक वास्तविक संख्याओ के उदहारण नहीं है क्योकि (√-3)2 =-3≤0 एक negative number है .
Note:- यदि x कोइ दिया गया वास्तविक संख्या है तो x²≥0 होगा otherwise यह वास्तविक संख्या नहीं होगा अर्थात यह एक काल्पनिक संख्या (Imaginary number )होगा ऊपर उदहारण के फॉर्म में दिया गया सभी संख्या x²≥0 के फॉर्म में है इसलिए वे सभी वास्तविक संख्या है.
वास्तविक संख्या को सजाने का क्रम :-
वास्तविक संख्या मुख्याtah दो प्रकार के क्रमों में सजाया जाता है जो निचे दिए गए है .
- आरोही क्रम या बढ़ते हुए क्रम (Increment order ):- जब दिए गए संख्याओ को बढ़ते हुए क्रमों में लिखा जाता है तो इसे हम आरोही क्रम कहते है, आरोही क्रम में सबसे पहले छोटी संख्या लिखते है ,उसके बाद उससे बड़ी ,फिर उससे बड़ीसंख्या लिखते है और और last में सबसे बड़ी संख्या लिखते है ,उदहारण के लिए दिए गए संख्याओ को लेते है – Exp- 2 , 10 , 8 , 7 , 5 , 6 ,12 आरोही क्रम = 2 , 5, 6 , 7 , 8 , 10 ,12
- अवरोही क्रम या घटते हुए क्रम (Descending order):-जव दिए संख्याओ को घटते हुए क्रमों में लिखा जाता है तो इसे हम अवरोही क्रम या घटते हुए क्रम कहते है .घटते हुए क्रम में लिखने के लिए सबसे पहले सबसे बड़ी संख्या लिखते है फिर उससे छोटी ,फिर उससे छोटी फिर उससे छोटी और बाद में सबसे छोटी संख्या को लिखते है .उदहारण के लिए हम दिए गए संख्याओ को लेते है – Exp- 2 , 10 , 8 , 7 , 5 , 6 ,12 अवरोही क्रम = 12 ,10, 8 , 7 ,6, 5
छोटा(“<“) और बड़ा(” >”) के चिन्ह का प्रयोग करना सीखें –
दोस्तों इन चिन्हों का प्रयोग दो संख्याओ के बिच में किया जाता है ,जैसे – माना की A और B दो संख्यायें है तो इसे इन चिन्हों (“<“) या(” >”) का प्रयोग के लिए जिस तरफ इस चिन्ह का एक सिरा होता है उस तरफ छोटी संख्या को लिखते है और जिस तरफ दोनों सिरा होता है उस तरफ बड़ी संख्या को लिखते है जैसे-
- A>B :- A>B का मतलब है की संख्या A संख्या B से बड़ी है , इस चिन्ह का प्रयोग संख्याओ को अवरोही क्रम में लिखने के लिए किया जाता है उदहारण के लिए – Exp- 2 , 10 , 8 , 7 , 5 , 6 ,12 का अवरोही क्रम = 12 >10 > 8 > 7 > 6 > 5 है .
- A<B :-A<B का मतलब है की संख्या A ,संख्या B से छोटी है इस चिन्ह का प्रयोग हम संख्याओ को आरोही क्रम में लिखने के लिए करते है ,उदहारण के लिए – Exp- 2 , 10 , 8 , 7 , 5 , 6 ,12 का आरोही क्रम = 2 < 5 < 6 < 7 < 8 < 10 < 12 है.
सबसे बड़ी और सबसे छोटी संख्या ज्ञात करने का तरीका :-
एक अंक सबसे छोटी संख्या 1 होता है यदि एक से अधिक अंक का सबसे छोटी से छोटी संख्या निकलना हो तो सबसे पहले एक लिखेगे फिर बाकि के स्थनों पर 0 लिखेगे , जैसे – चार अंको की सबसे छोटी संख्या =1000 ,में पहली संख्या एक है और बाकि के संख्याओ के स्थान पर सुन्य है.
ठीक वैसे ही एक अंक की बड़ी संख्या 9 है और जीतनी अंको की बड़ी संख्या लिखना होता है ,हम उतनी बार 9 लिखते है – जैसे यदि हमें चार अंको की बड़ी से बड़ी संख्या लिकना हो तो हम चार बार 9 लिखेगें अर्थात चार अंको की बड़ी से बड़ी संख्या 9999 होगी
यदि आप और विस्तार से समझना चाहते है तो निचे दिए गए तालिका को अच्छी तरह से समझने का प्रयास करें –
छोटी संख्या | संख्या | बड़ी संख्या | संख्या |
1 अंक की छोटी संख्या | 1 | 1 अंक की बड़ी संख्या | 9 |
2 अंक की छोटी संख्या | 10 | 2 अंक की बड़ी संख्या | 99 |
3 अंक की छोटी संख्या | 100 | 3 अंक की बड़ी संख्या | 99 |
4 अंक की छोटी संख्या | 000 | 4 अंक की बड़ी संख्या | 9999 |
5 अंक की छोटी संख्या | 10000 | 5 अंक की बड़ी संख्या | 99999 |
6 अंक की छोटी संख्या | 100000 | 6 अंक की बड़ी संख्या | 999999 |
7 अंक की छोटी संख्या | 1000000 | 7 अंक की बड़ी संख्या | 9999999 |
8 अंक की छोटी संख्या | 10000000 | 8 अंक की बड़ी संख्या | 99999999 |
9 अंक की छोटी संख्या | 100000000 | 9 अंक की बड़ी संख्या | 999999999 |
Note:– एक अंक की सबसे बड़ी संख्या में एक जोड़ने पर दो अंको की सबसे छोटी संख्या प्राप्त होती है ,ठीक उसी प्रकार दो अंको की सबसे बड़ी संख्या में एक जोड़ने पर तिन अंको की सबसे छोटी संख्या प्राप्त होती है.
स्थानीय मान(Place Value) निकालने का तरीका :-
किसी दी गइ संख्या में किसी संख्या का स्थानीय मान निकालनेके लिए सबसे पहले उस संख्या को प्रसारित रुप में लिखा जाता है फिर जिस संख्या का स्थानीय मान लिखना होता है उसका स्थान ही उस संख्या का स्थानीय मान होता है .
अथवा सबसे पहले उस संख्या को लिख देंगे फिर उस संख्या के दाई तरफ जीतनी संख्याऐ होंगी उतनी सुन्य उस संख्या पर लगा देंगे. निचे दिए गए उदहारण से समझते है
जैसे- 527825 में 7 का स्थानीय मान निकालने के लिए सबसे पहले 527825 को प्रसारित रूप में लिखते है –
527825 = 500000 + 20000 +7000 + 800 +20 +5
अतः ऊपर दिए गए संख्या में 7 का स्थनीय मान 7000 होगा. इसे हम ऐसे भी ज्ञात कर सकते है की सबसे पहले 7 लिखा दिआ और और 7 के बाद दाई ओर 3 अंक है तो 7 पर तिन सुन्य बैठा दिया अर्थात इसमे 7 का स्थानीय मान हमें 7000 प्राप्त होगा
ठीक उसी प्रकार, 527815 में 2 का स्थानीय मान =20000 होगा
527815 में 8 का स्थानीय मान =800 होगा.
सन्निकट मान निकालने का सबसे आसान तरीका :-
दोस्तों सन्निकट मान अधिकतर हम जब संख्याओं को वैज्ञानिक संकेंतन के रूप में लिखते है तो ज्ञात करते है .सन्निकट मान के नियमों का उपयोग हम ज्यादा तर दशमलव की संख्याओ लिखते समय उपयोग में लाते है
सन्निकट मान निकालने के लिए दशमलव के बाद जीतनी संख्याओ तक हमें सन्निकट मान निकालना होगा उस संख्या के बाद वाली यदि 5 या 5 से कम हो तो इस संख्याओ को ऐसे ही हटा देते है नहीं तो यदि 5 से अधिक हो तो दी गई संख्या में एक जोड़ देते है और बाकि की संख्याओं को हटा देते है .
जैसे -Exp 4.3486 में दशमलव के दो अंको तक सन्निकट मान निकालें .
हल:– 4.3486 में दूसरा अंक 4 है और 4 के बाद 8 है जो की 5 से बड़ा है अतः दूसरी संख्या 4 में एक जोड़ देंगें और बाकि की संख्याओ को हम हटा देंगे, 4.3486 में दशमलव के दो अंको तक सन्निकट मान 4.35 होगा.
Exp 4.3416 में दशमलव के दो अंको तक सन्निकट मान निकालें .
हल:- 4.3416 में दूसरा अंक 4 है और 4 के बाद 1 है जो की 5 से छोटा है अतः दूसरी संख्या 4 को हम वैसे हिं देंगें और बाकि की संख्याओ को हम हटा देंगे. 4.3416 में दशमलव के दो अंको तक सन्निकट मान 4.34 होगा.
संख्याओं को वैज्ञानिक संकेतन में लिखने का तरीका :-
किसी भी दी गई संख्या को वैज्ञानिक संकेतन में लिखने के लिए बाई ओर की दी गई पहली संख्या पर दशमलव लगते है और बाकि की संख्या को 10 के घातों के रूप में लिखते है. इसे हम निचे दिए गए उदहारण के साथ समझेगें.
Exp . 43416 को वैज्ञानिक संकेतन के रूप में लिखें.
हल:- 43416 =4.3416 * 10000 =4.34 * (10)4 ans.
ऊपर दिए गए हल में 4.3416 का दशमलव के दो अंको तक सन्निकट मान निकाला गया है
Exp . 43486.98 को वैज्ञानिक संकेतन के रूप में लिखें.
हल:- 43486.98 =4.348698 * 10000 =4.35 * (10)4 ans.
ऊपर दिए गए हल में 4.348698 का दशमलव के दो अंको तक सन्निकट मान निकाला गया है
Exp . 0.0000004348698 को वैज्ञानिक संकेतन के रूप में लिखें.
हल:- 0.0000004348698 =4.348698 * 1/10000000 = 4.35 * (10)-7 ans.
ऊपर दिए गए हल में 4.348698 का दशमलव के दो अंको तक सन्निकट मान निकाला गया है.
पूर्वर्ती (Successors )और परवर्ती (Predecessors ) संख्याएं :-
किसी दी गई संख्या मे से एक घटाने पर प्राप्त संख्या उस दी गई संख्या के पूर्वर्ती संख्या कहलाती है और किसी दी गई संख्या में एक जोड़ने पर प्राप्त संख्या उस संख्या की परवर्ती संख्या कहलाती है. जैसे-
17 की पूर्वर्ती संख्या =17 – 1 =16 और 17 की परवर्ती संख्या =17+1 =18
156 की पूर्वर्ती संख्या =156 – 1 =155 और 156 की परवर्ती संख्या =156 +1 =158
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संख्या रेखा (Number Line )और इस पर आधारित संस्क्रियाये :-
एक एसी रेखा जिसके बाई ओर धनात्मक संख्याओ को लिखा जाता है और दाई ओर ऋणात्मक संख्याओं को लिखा जाता है और मध्य में सुन्य को लिखा जाता है इसप्रकार के रेखा को हम संख्या रेखा कहते है. जैसा की निचे दिए गए आकृति में दर्शाया गया है –
जैसा की ऊपर दिखाया गया है की सुन्य के दाई ओर धनात्मक संख्याये है और बाई ओर रिनात्मक संख्याये है और दो सांगत संख्याओ के बिच की दुरी एक unit अर्थात एक इकाई है इस प्रकार के रेखाओ को हम संख्या रेखा कहते है.
संख्या रेखा पर आधारित कुछ मुलभुत गुण :-
- संख्या रेखा पर 0 हमेसा ऋणात्मक संख्या (Negative Number) -1 और धनात्मक संख्या (Positive Number)+1 के बिच में होता है .
- सुन्य के दाई ओर हमेसा ऋणात्मक संख्या और बाई ओर हमेसा धनात्मक संख्या होता है .
- दो संगत संख्याओ के बिच में एक मात्रक (1 unit) की दुरी होता है .
- संख्या रेखा पर दाई तरफ की संख्याऐ अपने बाएं तरफ की संख्याओं से बड़ी होती है,जैसे – +4 ,-4 से हमेसा बड़ी है,क्योकि +4 ,-4 से दाई तरफ है .ठीक इसी प्रकार , 7>4 , 8 >6 , 12>5 ,6>-8
संख्या रेखा के तथ्यों से हमें निम्नलिखित निस्कर्स प्राप्त होते है-
- ऋणात्मक संख्या (Negative Number) हमेसा धनात्मक संख्या (Positive Number ) से छोटा होता है .जैसे , -8<8 ,-4<2 etc
- दो ऋणात्मक संख्याओं में से जो संख्या का आंकिक वैल्यू (Numerical Value) अधिक होता है उसे छोटी संख्या माना जाता है. जैसे , -8<-2, -9<-4 etc
सुन्य से विभाजन (∞ का परिभासा ):- पहली विधि
किसी संख्या से किसी संख्या में विभाजन का अर्थ है की उस संख्या को दी गई संख्या मे से बार – बार घटाना. उदहारण के लिए- 8/2 =?
solve:- 8-2=6 , 6-2=4 , 4-2 =2 , 2-2= 0.
यहाँ पर हम 8 मेसे 4 बार 2 घटाने पर 0 प्राप्त होता है,अतः यहाँ ,भागफल =4 होगा.
ठीक उसी प्रकार – 2/0 =?
हल:- 2-0=2 ,2-0=0 ,2-0=2 ,2-0 =2 ,यहाँ हम देख रहे है की 2 में से जीतनी बार भी 0 घटाओ 2 ही प्राप्त होगा अतः संख्याओं को सुन्य से विभाजन को परिभाषित नहीं किया जा सकता है इस प्रकार हम कह सकते है की ,2/0 =∞
किसी भी संख्या n में 0 से भाग देने पर अपरिभासित या अनंत (∞) प्राप्त होता है , n/0 =∞ .
दुसरे शब्दों में (दूसरी विधि) :-
यदि कीसी दी गई संख्या “P” में किसी दुसरे संख्या “Q “से भाग देते है तो संख्या Q जितना छोटा होता है भागफल उतना ही बड़ा होता है हम निचे दिए गए उदहारण से समझते है-
10/10=1 ;
10/5=2 ;
10/2 =5 ;
10/1 =10 ;
10/0.01=1000 ;
10/0= ∞ ;
ऊपर दिए गए उदहारण से पता चलता है दी गई संख्या का हर (Denominator ) जितना छोटा होता जाता है संख्या का वैल्यू उतना हीं बढ़ता जाता है और एक समय एसा आता है की हर घट कर सुन्य हो जाता है और तो संख्या का वैल्यू (भागफल ) infinity अर्थात ∞ हो जायेगा.
अतः P/0 = ∞ ,जहाँ ,P कोई धनात्मक संख्या है.
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गुनंखंड(Factor) और गुणाज (Multiple)पर आधारित सामान्य जानकारियां:-
गुणनखंड (Factor):-
किसी भी संख्या का गुणनखंड उसका एक पूरा – पूरा(Exact) विभाजक ( Divisor )होता है.
जैसे- 12 का गुणनखंड = 1 ,2 ,3 ,4 ,6 ,12
18 का गुणनंखंड = 1 , 2 , 3 , 6 , 9 , 18
गुणनखंड के गुण(Property of factor):-
- एक प्रत्येक संख्या का एक गुणन खंड होता है ,जैसे- 7*1 =7 ,8*1=8 ;
- प्रत्येक संख्या स्वयं अपना एक गुणनखंड होता है ,जैसे- 5=5*1 ,6 =6*1 ;
- किसी संख्या का प्रत्येक गुणनखंड उस संख्या का एक पूर्ण विभाजक होता है .जैसे- 15 =३*5 ; यहाँ पर 15 , 3 और 5 दोनों से विभाजित होगा.
- एक किसी संख्या का प्रत्येक गुणनखंड उस संख्या से छोटा या उससे बराबर होता है . 20 =4*5 ,यहाँ 4 और 5 <20
- किसी भी दी गई संख्या के गुणनखंडो की संख्या परीमित (finite) अर्थात “जिसे गिना जा सके” होती है जैसे- 15=1*3*5 ,यहाँ पर हम देखते है की 15 की तिन गुणनखंड एक ,तिन और पांच है.
गुणज(Multiple):-
किसी संख्या का गुणज उसका पहाडा(Table) होता है ,जैसे-
5 का गुणज =5 , 10 , 15 , 20 , 25, …………..etc
3 का गुणज =3 , 6 , 9 , 12 , 15 , 18,……………etc
गुणजो के सामान्य गुण :-
ऊपर दिए गए उदहारण से हमें निम्न बातें ज्ञात होती है –
- किसी संख्या का गुणज उस संख्या से बराबर या उससे बड़ा होता है .
- किसी दी गई संख्या के गुणजो की संख्या अपरिमित होती है.
- प्रत्येक संख्या स्वयं का एक गुणज होता है.
वास्तविक संख्याओ के कुछ सामान्य गुण :-
- योग का संवृत गुण:-यदि a और b दो वास्तविक संख्याये है तो a+b भी एक वास्तविक संख्या होगी .
- व्याकलन का संवृत गुण :-यदि दो वास्तविक संक्याये a और b हो तो a-b भी एक वास्तविक संख्या होगी .
- गुणन का संवृत गुण :- यदि aऔर b दो वास्तविक संख्याये है तो a*b भी एक वास्तविक संख्या होगी .
- योग के क्रम विनिमेय गुण :- यदि a और b दो वास्तविक संख्याये है तो (a+b)=(b+a) होगा.
- गुणन का क्रम विनिमेय गुण :-यदि a और b दो वास्तविक संख्याएं है तो a*b =b*a होगा.
- जोड़ का साहचर्य गुण :- यदि a,b,c तिन वास्तविक संख्याएं है तो , a+(b+c)=(a+b)+c होगा.
- गुणा का साहचर्य नियम:-यदि तिन वास्तविक संख्याये a,b और c है तो a*(b*c)=(a*b) होगा.
- योज्य तत्समक :- वास्तविक संख्याओं के लिए 0 एक योज्य तत्समक है ब्यापक रूप से किसी भी पूर्णाक a के लिए , a+0=a=0+a ;
- सुन्य से गुणन :- किसी भी वास्तविक संख्या a के लिए , a *0 =0 *a = 0 ;
- गुणात्मक तत्समक :-किसी वास्तविक संख्या a के लिए , a*1=1*a =a ;
- यदि तिन वास्तविक संख्याये a,b और c हो तो , a*(b+c)=a*b+a*c और a*(b-c)=a*b-a*c ;
दोस्तों मै आसा करता हु की वास्तविक संख्याओं से सम्बंधित प्रश्नों का हल करना आपको आ गया होगा ,यदि इस पोस्ट में आपको कोई doubt हो या कुछ न समझ में आया हो तो हमें कमेंट के जरिये बताये यदि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया हो तो इसे like करे share करे-
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